भारतीय संस्कृति को देव संस्कृति कहा गया है। यह ऋषि- मुनियों
का देश है। त्याग और सेवा यहाँ के आदर्श रहे हैं। इस भूमि पर जन्म लेना
सौभाग्य की बात है, यहाँ के निवासियों को देवी देवताओं जैसा सम्मान दिया
गया है तथा यहाँ की मिट्टी को चन्दन की तरह पवित्र माना गया है।
चन्दन सी इस देश की माटी, तपोभूमि हर गाँव हर ग्राम है।
हर नारी देवी की प्रतिमा, बच्चा- बच्चा राम है।।
जिसके सैनिक समर भूमि में, गाया करते हैं गीता।
यहाँ खेत में हल के नीचे, खेला करती है सीता।।
जीवन का आदर्श यहाँ पर, परमेश्वर का काम है।।
यहाँ कर्म से भाग्य बदलती श्रम- निष्ठा कल्याणी।
त्याग और तप की गाथाएँ, गाती कवि की वाणी।।
ज्ञान यहाँ का गंगा जल सा, निर्मल है अभिराम है।।
रही सदा मानवता वादी, इसकी संस्कृति धारा।
मिलकर रहते मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरूद्वारा।।
सागर इसको अघ्र्य चढ़ाता, हिमगिरी करे प्रणाम है।।
हर शरीर मन्दिर सा पावन, हर मानव उपकारी।
क्षुद्र असुरता को ठुकरा दे, न्याय नीति व्रतधारी।।
यहाँ सवेरा शंख बजाता, लोरी गाती शाम है।।
हर नारी देवी की प्रतिमा, बच्चा- बच्चा राम है।।
जिसके सैनिक समर भूमि में, गाया करते हैं गीता।
यहाँ खेत में हल के नीचे, खेला करती है सीता।।
जीवन का आदर्श यहाँ पर, परमेश्वर का काम है।।
यहाँ कर्म से भाग्य बदलती श्रम- निष्ठा कल्याणी।
त्याग और तप की गाथाएँ, गाती कवि की वाणी।।
ज्ञान यहाँ का गंगा जल सा, निर्मल है अभिराम है।।
रही सदा मानवता वादी, इसकी संस्कृति धारा।
मिलकर रहते मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरूद्वारा।।
सागर इसको अघ्र्य चढ़ाता, हिमगिरी करे प्रणाम है।।
हर शरीर मन्दिर सा पावन, हर मानव उपकारी।
क्षुद्र असुरता को ठुकरा दे, न्याय नीति व्रतधारी।।
यहाँ सवेरा शंख बजाता, लोरी गाती शाम है।।
चंदन सी इस देश की
Reviewed by Harshit
on
March 27, 2020
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