पुल की लंबाई 18 से 20 फीट
दूरी सफेद 18 फीट
राष्ट्र-ध्वज किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के गौरव का प्रतीक है। प्रत्येक राष्ट्र का अपना एक ध्वज निर्धारित होता है जिसकी आन-मान-मर्यादा पर मिटने के लिये उसके नागरिक सदैव तत्पर रहते है।
हमारे राष्ट्र का वर्तमान (तिरंगा) ध्वज अपने में एक इतिहास संजोये है। सन् 1857 में हरे रंग का झण्डा था जिसपर रूपहला सूरज बना था। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई और नाना धुन्धपन्त इसी झण्डे तले लड़े थे।
सन्1905 में इंग्लैण्ड में श्या मजी कृष्ण वर्मा और मैडम कामा के सुझाव पर यहाँ पढ़ने वाले छात्रों ने तीन रंग का झण्डा बनाया जिसमें लाल-सफेद-हराः लाल पट्टी पर आठ प्रान्तों के प्रतीक आठ तारे, सफेद पट्टी पर वन्दे्मातरम् तथा हरी पट्टी पर दांयी तरफ सूरज, बायीं तरफ चाँद बना ध्वज स्वीकार किया।
सन् 1921 में गाँधी जी ने विजयवाड़ा काँग्रेस अधिवेशन में सफेद, लाल व हरे रंग का झण्डा बनाया जिसके हरे रंग मंे चरखा बनाया था।
सन्1931 में काँग्रेस के करांची अधिवेशन में केसरिया सफेद और हरा रंग स्वीकार किया गया जिसकी बीच की सफेद पट्टी में चरखा रखा गया। 31 दिसम्बर , 1931 से 22 जुलाई 1947 यही ध्वज फहराया जाता रहा।
सन् 1947 में 22 जुलाई से आगे केसरिया, सफेद वह हरे रंग का ध्वज ही स्वीकार कर लिया गया। किन्तु चरखे के स्थान पर सारनाथ के अशोक चक्र को ले लिया गया। केसरिया रंग- साहस और बलिदानः सफेद सत्य व शान्तिः हरा रंग- समृद्धि व खुशहाली का तथा चक्र धर्म और प्रगति का प्रतीक हैः
ध्वज पोल की ऊचाई 20 से 22 फिट होनी चाहिये।
दूरी सफेद 18 फीट
राष्ट्र-ध्वज किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के गौरव का प्रतीक है। प्रत्येक राष्ट्र का अपना एक ध्वज निर्धारित होता है जिसकी आन-मान-मर्यादा पर मिटने के लिये उसके नागरिक सदैव तत्पर रहते है।
हमारे राष्ट्र का वर्तमान (तिरंगा) ध्वज अपने में एक इतिहास संजोये है। सन् 1857 में हरे रंग का झण्डा था जिसपर रूपहला सूरज बना था। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई और नाना धुन्धपन्त इसी झण्डे तले लड़े थे।
सन्1905 में इंग्लैण्ड में श्या मजी कृष्ण वर्मा और मैडम कामा के सुझाव पर यहाँ पढ़ने वाले छात्रों ने तीन रंग का झण्डा बनाया जिसमें लाल-सफेद-हराः लाल पट्टी पर आठ प्रान्तों के प्रतीक आठ तारे, सफेद पट्टी पर वन्दे्मातरम् तथा हरी पट्टी पर दांयी तरफ सूरज, बायीं तरफ चाँद बना ध्वज स्वीकार किया।
सन् 1921 में गाँधी जी ने विजयवाड़ा काँग्रेस अधिवेशन में सफेद, लाल व हरे रंग का झण्डा बनाया जिसके हरे रंग मंे चरखा बनाया था।
सन्1931 में काँग्रेस के करांची अधिवेशन में केसरिया सफेद और हरा रंग स्वीकार किया गया जिसकी बीच की सफेद पट्टी में चरखा रखा गया। 31 दिसम्बर , 1931 से 22 जुलाई 1947 यही ध्वज फहराया जाता रहा।
सन् 1947 में 22 जुलाई से आगे केसरिया, सफेद वह हरे रंग का ध्वज ही स्वीकार कर लिया गया। किन्तु चरखे के स्थान पर सारनाथ के अशोक चक्र को ले लिया गया। केसरिया रंग- साहस और बलिदानः सफेद सत्य व शान्तिः हरा रंग- समृद्धि व खुशहाली का तथा चक्र धर्म और प्रगति का प्रतीक हैः
ध्वज पोल की ऊचाई 20 से 22 फिट होनी चाहिये।
ध्वज फहराने के नियम
1. केसरिया रंग ऊपर, हरा नीचे हो। झण्डा लपेटकर फहराना चाहिये।
2. ध्वज को सूर्य उदय से सूर्य अस्त तक फहराना चाहिये।
3. ध्वज को राष्ट्रीय पर्वो व उत्सवों में फहराना चाहिये।
4. हाईकोर्ट (र्न्यायालयों), सचिवालयों, कमीश्नरी, कलैक्ट्री, जेल, केन्द्रिय व प्रान्तीय मन्त्रियों के आवास,
राष्ट्रपति भवन, संसद, राजदूतो व राज प्रमुखां के निवास, सीमाओं, सैनिक केन्द्रों द्वारा विभिन्न केन्द्रों
पर प्रतिदिन फहराया जाता है।
5. राष्ट्रीय ध्वज सब ध्वजों से पहले फहराया जायेगा और सबके अन्त में उतारा जायेगा।
6. दो या उससे अधिक राष्ट्रों के झण्डे समान ऊँचाई पर फहराये जाते है।
7. वक्ता के मंच पर ध्वज मंच के दाहिनें तथा उससे ऊँचा हो।
8. शोक प्रकट करने के लिये
राष्ट्र-ध्वज को पहले पूरा फहराकर तब झण्डे की चौढ़ाई बराबर नीचे लाकर
फहराना चाहिये। उतारते समय ऊपर तक ले जाकर धीरे धीरे उतारना चाहिये।
निषेध
1. राष्ट्रीयध्वज के दाहिने कोई झण्डा नहीं फहराया जाना चाहिये।
2. राष्ट्रीयध्वज के दाहिने किसी व्यक्ति को खड़ा नहीं होना चाहिये।
3. राष्ट्रीयध्वज को जमीन से नहीं छूने देना चाहियें।
राष्ट्र ध्वज
Reviewed by Harshit
on
March 27, 2020
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