घर - घर अलख जगायेंगे

घर- घर अलख जगायेंग, हम बदलेंगे जमाना।।
निश्चय हमारा, ध्रु्रव सा अटल है।
काया की रग- रग में, निष्ठा का बल है।।
जागृति शंख बजायेंगे, हम बदलेंगे जमाना।
बदली हैं हमने अपनी दिशायें।
मंजिल नयी तय, करके दिखायें।।
धरती को स्वर्ग बनायेंगे, हम बदलेंगे जमाना।।
श्रम से बनायंेगे, माटी को सोना।
जीवन बनेगा, उपवन सलोना।।
मंगल सुमन खिलायेंगें, हम बदलेंगे जमाना।।
पीड़ा पतन की, तोडे़गे कारा।
ममता की निर्मल, बहायेंगे धारा।।
समता की दीप जलायेंगे, हम बदलेंगे जमाना।।
माता गायत्री की ,, हम पर है छाया।
अनुभव हम करते हैं, गुरूवर का साया।।
शुभ संस्कार जगायेंगे, हम बदलेंगे जमाना।।
घर - घर अलख जगायेंगे घर - घर अलख जगायेंगे Reviewed by Harshit on March 27, 2020 Rating: 5

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