तुम अधूरे नहीं तुम अभागे नहीं

तुम अधूरे नहीं, तुम अभागे नहीं,
बात इतनी ही है, आप जागे नही
बीज, वट-वृक्ष होना भुलाए हुए,
उर्वरा भूमि की कोख पाए हुए
प्राण गलना नही चाहते धूल में,
फूल-फल लालसाएं लगाए हुए
मेघ माली विकल, सींचने को खड़े
अंकुरों ने अमिय घूंट मांगे नही,
 देन, तक दृष्टि, पहुंची नही चाह की
लक्ष्य ने खोज की है नही, राह की
प्राप्ति का मूल्य आंका नही, ध्यान दें
और पाए हुए की, न परवाह की
शक्ति प्रतिभा प्रभा खो रही व्यर्थ थी
लक्ष्य की दौड़ में पांव भागे नही
भाग्य क्या है? विधाता स्वयं आप हैं
दीनता, हीनता आप के पाप हैं
दे खजाना तुम्हे, सौंप दी कुंजियाँ
बोध विस्मृति बने, घोर संताप हैं
भाग्य के देवता, भाल को पीटते
हांथ बांधे खड़े, पांव आगे नही
तुम अधूरे नहीं, तुम अभागे नहीं,


(तर्ज- आपके प्यार मे हम सँवरने लगे)
तुम अधूरे नहीं तुम अभागे नहीं तुम अधूरे नहीं तुम अभागे नहीं Reviewed by Harshit on March 29, 2020 Rating: 5

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