बॉलीवुड के बादल छाए

बॉलीवुड के बादल छाए, बदलावों की बारिश है
ये है सिर्फ सिनेमा या, फिर सोची समझी साजिश है
याद करो आशा पारेख के, सिर पर पल्लू रहता था
हीरो मर्यादा में रहकर प्यार-मोहब्बत करता था
प्रणय दृश्य दो फूलों के टकराने में हो जाते थे
नीरज साहिर के गीतों पर पावन प्रेम लजाता था
लेकिन अब तो बेशर्मी के घूँट सभी को पीने हैं
जांघों तक सुंदरता सिमटी खुले हुए अब सीनें हैं
नहीं पीढ़ियां कामुकता के घ्रणित भाव की प्यासी है
कन्याएँ तक छोटे-छोटे प्रधानों की दासी हैं
क्या तुमको यह सब विकास का ही परिचायक लगता है
हनी सिंह भी क्या समाज का शीर्ष सुधारक लगता है
क्या तुमको पश्चिम के ये षड्यंत्र समझ में आते हैं
क्या शराब की कंपनियों के लक्ष्य नहीं दिखलाते हैं
लल्ला-लल्ला लोरी वाली भी लोरी बदनाम हुई
और कटोरी दूध भरी अब दारू वाला जाम हुयी
बोतल एक वोडका पीना काम हुआ अब डेली का
वाइन विथ आइस नारा है, पीढी नयी नवेली का
राष्ट्रप्रेम की फिल्में देखो, औंधे मुंह गिर जाती है
पीकू पीके कचरा करके, रुपए करोड़ों कमाती हैं
खुदा-इबादत-आल्लाह-रब ही, गीतों में अब छाएँ हैं
सेक्सी राधा डांस फ्लोर तक, देखो ये ले आए हैं
निज परंपरा धर्म और संस्कारों पर आघात है यह
जिसे सिनेमा कहते हो, एक जहरीली बरसात है यह
कर्मा, बार्डर, क्रांति, सरीखा दौर पुनः लौटाओ जी
या फिर चुल्लू भर पानी में, डूब कहीं मर जाओ जी
बॉलीवुड के बादल छाए बॉलीवुड के बादल छाए Reviewed by Harshit on March 29, 2020 Rating: 5

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