मन्दिर समझो - मस्जिद समझो

मन्दिर समझो, मस्जिद समझो, गिरजा समझो या गुरूद्वारा।
यह युग निर्माण का मन्दिर है, आता है यहाँ हर मतवाला।।
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, सब एक डोर से बँधे यहाँ।
यहाँ ऊँच- नीच का भेद नहीं, सबका है बराबर मान यहाँ।।
यह विश्व प्रेम का मन्दिर है, हर जन है यहाँ सबको प्यारा।।
यहाँ वेद पुराण कुरान, बाइबिल पर चर्चाएँ होती है।
हर देश- प्रदेश की भाषायें, इस मंच से मुखरित होती है।।
यह सर्वधर्म का महामंच, हर धर्म यहाँ सबको प्यारा।।
यहाँ रामचरित और गीता की, अमृत- सी वर्षा होती है।
माँ गायत्री के मन्त्रों की, पावन ध्वनि गुँजित होती है।।
नित राग, रंग, रस निर्झर की, बहती उन्मुक्त विमल धारा।।
मन्दिर समझो - मस्जिद समझो  मन्दिर समझो - मस्जिद समझो Reviewed by Harshit on March 27, 2020 Rating: 5

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