ओ सँवारे आज को, कल का पता नहीं
आओ सजा ले आज को, कल का पता नहीं
अरे कल की तो छोड़िए जनाब, पल का पता नहीं
आओ सँवारे आज को कल का पता नहीं......
आने से पहले मौत के, खुद को सवार ले
टूटा जो फूल शाख से, फिर वह लगा नहीं
आओ सजा लें आज को, कल का पता नहीं....
होगा गुरूर के सिवा, दिल में और क्या ?
जिस दिल में इस जगत का, मालिक बसा नहीं
ओ सँवारे आज को कल का पता नहीं......
(तर्ज - मिलती है जिंदगी में...)
आओ सजा ले आज को, कल का पता नहीं
अरे कल की तो छोड़िए जनाब, पल का पता नहीं
आओ सँवारे आज को कल का पता नहीं......
आने से पहले मौत के, खुद को सवार ले
टूटा जो फूल शाख से, फिर वह लगा नहीं
आओ सजा लें आज को, कल का पता नहीं....
होगा गुरूर के सिवा, दिल में और क्या ?
जिस दिल में इस जगत का, मालिक बसा नहीं
ओ सँवारे आज को कल का पता नहीं......
(तर्ज - मिलती है जिंदगी में...)
ओ सँवारे आज को, कल का पता नहीं
Reviewed by Harshit
on
March 29, 2020
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